Sugarcane farming: गन्ने की होगी बंपर पैदावार के लिए, बुआई के लिए अपनाये ये विधि, मिलेगा फायदा

Sugarcane farming: शरदकालीन गन्ने की बुआई शुरू हो चुकी है। कृषि विशेषज्ञों द्वारा किसानों को बुआई को लेकर कई सुझाव दिये जा रहे हैं, ताकि गन्ने की पैदावार रोगमुक्त हो सके और पैदावार भी अच्छी हो सके साथ ही विशेषज्ञों का मानना है, कि गन्ने का अच्छा उत्पादन तभी हो सकता है जब स्वस्थ्य एवं उपचारित गन्ने की बुआई की जाये।

UP गन्ना आयुक्त ओपी सिंह ने गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए एक ऐसी विधि सुझाई है, जिससे न सिर्फ गन्ने की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि गन्ने में रोग लगने की आशंका भी कम होगी।

बीज उपचार पर ध्यान दें

गन्ने की नई रोगरोधी प्रजाति बोयें। UP Ganna आयुक्त ओपी सिंह ने कहा कि बुआई से पहले गन्ने का बीजोपचार करना बेहद जरूरी है। बीज उपचार के साथ-साथ बुआई के बाद मिट्टी का उपचार भी करें। साथ ही खेत की बुआई से पहले और आखिरी जुताई के समय भूमि को ट्राइकोडर्मा डालकर उपचारित करें।

इसके अलावा जहां तक संभव हो गन्ने की बुआई ट्रेंच विधि से करें। इस तकनीक में खेत तैयार करने के बाद ट्रेंच ओपनर से एक फुट चौड़ी और लगभग 25-30 सेमी गहरी क्यारी बनाई जाती है. इस तकनीक में एक क्यारी से दूसरे क्यारी के बीच की दूरी 120 सेमी होती है।

ज्यादा पैदावार के लिए इस तरीके से करें बुआई

गन्ने का उत्पादन बढ़ाने एवं रोगमुक्त रखने के लिए गन्ने की बुआई ट्रेंच विधि से करनी चाहिए। ओपी सिंह ने किसानों को शरदकालीन गन्ने की बुआई के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अच्छी पैदावार के लिए किसानों को स्वस्थ गन्ने का चयन करना चाहिए। बहुत पतले एवं रोगग्रस्त गन्ने का उपयोग बुआई के लिए न करें।

गन्ना बोते समय एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि गन्ना बोते समय केवल एक आंख या दो आंख के टुकड़े का ही उपयोग करना चाहिए। तीन या चार आँख के टुकड़े बोने से अंकुरण प्रतिशत में कमी आती है।

गन्ने की कौन सी किस्मों का करें चयन

गन्ने की खेती में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उत्तम गुणवत्ता वाले गन्ने के बीज का चयन करना जरूरी है। रोग प्रतिरोधी गन्ने की नई प्रजाति बोएं और इस बार अधिकांश किसानों ने गन्ना 0238 बोया है, जो रोगग्रस्त हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक गन्ने की नई प्रजाति 0118, कोसा 13235, 15023 और 14201 की बुआई करें। इन चारों किस्मों की बुआई से न केवल गन्ने की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि ये प्रजाति अधिक रोग प्रतिरोधक क्षमता से भी लैस हैं।

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