Wheat Variety: गेहूं की यह नई किस्म 81 क्विंटल की पैदावार देगी, जानें इसकी विशेषता और लाभ
Wheat Variety: किसान खरीफ फसल की कटाई के बाद रबी फसल की बुआई में जुट जाएंगे. गेहूं की खेती मुख्य रूप से रबी की फसलों में की जाती है। देश के करोड़ों किसान गेहूं की खेती करते हैं. ऐसे में अगर गेहूं की उन्नत किस्म बोई जाए तो किसान गेहूं की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
आज कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई नई किस्में विकसित की हैं जो अधिक उत्पादन देने के साथ-साथ रोगरोधी भी हैं। इन किस्मों में गेहूं की एक किस्म पूसा गौतमी एचडी 3086 है, जिसे पूसा इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह रोग प्रतिरोधी किस्म है जो एक हेक्टेयर में लगभग 81 क्विंटल पैदावार देती है.
पूसा गौतमी एचडी 3086 से कितनी मिलेगी पैदावार
अब अगर हम पूसा गौतमी एचडी 3086 की उपज की बात करें तो अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी अलग-अलग पैदावार मिलती है। उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में इस किस्म की पैदावार 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. उत्तर-पूर्वी मैदानी इलाकों में इसकी पैदावार 61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
अगर हम इस किस्म की औसत उपज की बात करें तो उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में इसकी उपज 54.6 है और पूर्वी मैदानी इलाकों में इसकी उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. एकड़ के हिसाब से देखा जाए तो इस किस्त से उत्तर-पश्चिमी इलाकों में 28.44 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है.
पूसा गौतमी एचडी 3086 किस्म की विशेषताएं – Wheat Variety
पूसा गौतमी एचडी 3086 किस्म समय पर बुआई एवं सिंचित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त मानी जाती है। उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में गेहूं की यह किस्म 145 दिनों में तैयार हो जाती है. जबकि उत्तर-पूर्वी मैदानी इलाकों में यह 121 दिन में पक जाती है.
खास बात यह है कि यह किस्म पीला और भूरा रतुआ रोग प्रतिरोधी है, यानी इस किस्म में इस रोग का प्रकोप कम होता है. इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है. इस किस्म की उच्च निकासी दर 70.5 और उत्कृष्ट चपाती गुणवत्ता रेटिंग 7.7 है। गेहूँ की यह किस्म रोटी बनाने के लिये उपयुक्त है।
पूसा गौतमी HD 3086 से कितनी पैदावार मिलेगी?
Wheat Variety: अब अगर हम पूसा गौतमी एचडी 3086 की उपज की बात करें तो अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी अलग-अलग पैदावार मिलती है। उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में इस किस्म की पैदावार 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
उत्तर-पूर्वी मैदानी इलाकों में इसकी पैदावार 61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. अगर हम इस किस्म की औसत उपज की बात करें तो उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में इसकी उपज 54.6 है और पूर्वी मैदानी इलाकों में इसकी उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
एकड़ के हिसाब से देखा जाए तो इस किस्म से उत्तर-पश्चिमी इलाकों में 28.44 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है.
किन राज्यों में किसान पूसा गौतमी एचडी 3086 किस्म की खेती कर सकते हैं
गेहूं की इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (कोटा और अधिभोग को छोड़कर) भेजा जा सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वर्जिन डिवीजन में भी छंटनी हो सकती है।
इसके अलावा इन मंदिरों में जम्मू-कश्मीर (कठुआ जिला) के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले और पावटा के कुछ हिस्से और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के साथ-साथ उत्तर पूर्वी मैदानी इलाके भी शामिल हैं, जिनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल शामिल है। उड़ीसा, असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के मैदानी क्षेत्रों का विकास किया गया है।
गेहूं और अन्य उच्च उपज देने वाली किस्में-Wheat Variety
ऊपर बताई गई किस्मों के अलावा गेहूं की कई अन्य किस्में भी हैं जो अधिक उपज देती हैं। आप अपने क्षेत्र के अनुसार गेहूं की किस्म चुनकर उसकी बुआई कर सकते हैं। अधिक उत्पादन देने वाली गेहूँ की अन्य प्रजातियाँ इस प्रकार हैं